बहसें फ़ुजूल थीं यह खुला हाल देर से ||अकबर इलाहाबादी

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बहसें फिजूल थीं यह खुला हाल देर में अफ्सोस उम्र कट गई लफ़्ज़ों के फेर में है मुल्क इधर तो कहत जहद, उस तरफ यह वाज़ कुश्ते वह खा के पेट ...

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